Former chambal dacoit malkhan campaigning for Narendra Modi

By on April 7, 2014

डाकू मलखान सिंह मांग रहे मोदी के लिए वोट

 

डाकू मलखान सिंह एक बार फिर भिंड के बीहड़ों में घूम रहे हैं। उनका हुलिया पहले जैसा ही है। काली रंगी बड़ी-बड़ी मूंछे, माथे पर लंबा लाल टीका और घने लंबे बाल। बस गायब है तो कंधे से बंदूक और कमर से कारतूसों की बेल्ट। सफेद कुर्ता और पायजामा पहने मलखान दोनों हाथ जोड़ कर लोगों के बीच घूम रहे हैं।

इस बात से आप किसी दुविधा में मत पड़िए। दरअसल अस्सी के दशक में आतंक का पर्याय रहे मलखान सिंह अब नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने के लिए लोगों से गुजारिश कर रहे हैं। सरेंडर करने के बाद एक आम नागरिक का जीवन बिता रहे मलखान अब बीजेपी के साथ हैं। वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ एक मंच पर बैठते हैं। साथ ही भिंड और ग्वालियर से बीजेपी प्रत्याशियों के लिए वोट मांगते हैं।

नौकरशाह और डाकू का साथ: एक बार विधानसभा चुनाव में उतर चुके मलखान सिंह भिंड लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी भगीरथ प्रसाद के लिए वोट मांग रहे हैं। पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह भगीरथ प्रसाद प्रदेश के गृहसचिव रहे हैं। यह संयोग ही है कि एक पूर्व गृह सचिव की मदद एक पूर्व डकैत कर रहा है। इस सीट से प्रत्याशी बने भगीरथ प्रसाद महिला उम्मीदवारों से घिरे हुए हैं।

भिंड से कांग्रेस ने इमरती देवी, एसपी ने अनीता चौधरी और आम आदमी पार्टी ने कृष्णा देवी को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि बीएपी ने भी पहले सरकारी नौकरी छोड़ कर आईं किरण दोहरे को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन बाद में मायावती ने किरण की जगह मनीश कुमार को प्रत्याशी बना दिया। नाराज किरण अब निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं।

कांग्रेस का बुरा हाल: मध्य प्रदेश की भिंड लोकसभा सीट में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। 1962 के बाद हुए 13 लोकसभा चुनावों में यहां से कांग्रेस सिर्फ तीन बार ही जीती है। साथ ही 1989 के बाद से कांग्रेस का यहां खाता तक नहीं खुला। हालांकि बीजेपी के इस बार के प्रत्याशी भगीरथ प्रसाद 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी थे। लेकिन वह बीजेपी के अशोक अर्गल से हार गए। इस सीट से एसपी और बीएसपी भी मुख्य लड़ाई से बाहर हैं।

समस्याएं वही, बस डाकू नहीं: भिंड जिले की समस्याएं और यहां के मुद्दे वही हैं, जो पांच दशक पहले थे। फर्क सिर्फ इतना आया है कि अब इस जिले में कोई नामचीन डाकू गिरोह नहीं रह गया है। लेकिन ‘आधुनिक डाकू’ बहुतायत में हैं। आज भी यहां बंदूक सोने से ज्यादा प्यारी है और आन-बान-शान की प्रतीक है।

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