All momdans in gujarat – Madhukar Upadhyay BBC Report

By on March 27, 2014

सागरनामा-4: क्या गुजरात में मुसलमान डरे हुए हैं?

शायद किसी समाजविज्ञानी ने इस पर काम किया हो कि डर के कितने स्वरूप हो सकते हैं.

वो किन रूपों में आपके सामने आ सकता है और उसके अर्थ कितने तरह से खुल सकते हैं.

अगर किताबों में दर्ज डर की परिभाषाएं अपने में पूर्ण होतीं, तो अगले डर का सामना करने पर इतनी बेचैनी न होती.

संभवतः तब यह समझा जा सकता था कि डर की जो सीमाएं निर्धारित हैं, हम उनसे बाहर नहीं जा रहे हैं. लेकिन ये परिभाषाएं बार-बार टूटती हैं. हैरान करती हैं.

हाल-फ़िलहाल छपी ख़बरों को आधार माना जाए, तो कहा जा सकता है कि गुजरात के मुसलमान कुछ डरे, कुछ सहमे से रहते हैं. पर इससे डर की पूरी शक्ल सामने नहीं आती.

विश्वास करना मुश्किल होता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व के इस दावे में दरअसल कई सुराख़ हैं कि गुजरात का मुसलमान बदल गया है, ख़ुशहाल है, बेफ़िक्र है और भाजपा को वोट देता है.

भरूच और सूरत के बीच, अंकलेश्वर से थोड़ा आगे खरोड़ गाँव हैं. आबादी क़रीब पाँच हज़ार. गाँव के मुखिया सिराज भाई हैं.

गाँव में एक बड़ा मदरसा है और यह राष्ट्रीय राजमार्ग से मात्र एक किलोमीटर के दायरे में है.

इस गाँव के पढ़े-लिखे मुसलमानों में भी जिस तरह की ख़ामोशी है, यक़ीन से बाहर है. वे सवालों के जवाब नहीं देना चाहते.

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