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Breaking: Booth officer encouraging bogus voting: Congress, BJP involved
जिनकी करतूत से पर्दा उठा है उनमें पहले हैं गुड़गांव जिला इलेक्शन ऑफिस के बूथ लेवल ऑफिसर मुकेश कुमार. सरकार ने उन्हें गुड़गांव संसदीय सीट में वोटर आईडी कार्ड बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी. वह गुड़गांव वालो के मतदाता पहचान पत्र भी बनावाएंगे और वोटिंग के दिन वोट भी डलवाएंगे. मुकेश कुमार की एक ओर बड़ी जिम्मेदारी है कि वह अपने क्षेत्र में फर्जी वोट को हर क़ीमत पर रोकें. लेकिन वह तो खुद ही बूथ लुटवाने की सलाह देने लगे. पढ़िए आज तक के रिपोर्टर से उनकी बातचीत:
आज तक: जो इंक लगती है, वोटिंग करते समय, उसकी स्याही छुटने का कोई कैमिकल है?
मुकेश कुमार: कैमिकल कुछ नहीं होता. नींबू का रस होता है. वो नाखून पर लगा लेना.
आज तक: तुरंत लगा लेना.
मुकेश कुमार: वो पकड़ ही नहीं करेगा.
आज तक: हट जाएगा एक दम.
मुकेश कुमार: पकड़ ही नहीं करेगा. नींबू का रस लगा लेना यूं ही.
चौकिए मत एक-एक उम्मीदवार अपने-अपने इलाके में दस-दस बीस-बीस हजार वोट बनवा रहा है. अगर बूथ अफसर की मानें तो इसमे 60 फीसदी वोट असली है और 40 फीसदी नकली. फरुखनगर गाजियाबाद के बीएलओ हुकुम सिंह से जब आज तक के रिपोर्टर ने पूछा, कि अगर रेजिडेंस प्रूफ न हो तो क्या वोट बन सकता है? इस पर जवाब मिला, ‘चलो कुछ में न हो. लेकिन अधिकतर में होना चाहिए. 60 परसेंट में होना चाहिए.’
बिजवासन: पपीते के दूध से स्याही छुड़ाने की सलाह
अब वोटों के एक और स्वयंभू ठेकेदार ओमप्रकाश से मिलिए. दक्षिण दिल्ली के बिजवासन इलाके में ओमप्रकाश के पास तीन हज़ार फ़र्ज़ी तरीक़े से बनाए हुए वोट हैं और हज़ार रुपये प्रति वोट की दर पर खुलेआम वोटो की बोली लगा रहे हैं. ओमप्रकाश से वोटों की खरीद-फरोख्त तो बाद में होगी, पहले जरा शरद पवार स्टाइल में इनसे भी स्याही मिटाने का मंत्र जान लीजिए.
आज तक: ऐसा भी कुछ हो जाता है…स्याही हटाकर दो जगह वोट डाल देते हैं…
ओमप्रकाश: हां हो सकता है.
आज तक: वो कैसे होता है.
ओमप्रकाश: पपीते का दूध लगा दिया. उसको मिटाके तुरंत लगा दो
आज तक: क्या लगा दिया
ओमप्रकाश: कच्चा पपीता आता है न
आज तक: हां
ओम प्रकाश: तुरंत हाथ में जैसे डलवाने जा रहे हैं वोट
आज तक: हां
ओम प्रकाश: इस हाथ में जरा सा दूध लगाके जाओ. तुरंत लगाओ छूट जाता है.
आज तक: नहीं नहीं समझा. आप वोट डालने जा रहे हैं…
ओमप्रकाश: वो डालने का निशान लगाएंगे. वो आपका हल्का सा पपीते का दूध इस हाथ में रहेगा. तुरंत उसको रगड़ों वहीं खड़े-खड़े. अंदर वोट डालने जाएगा. तुरंत रगड़ो.
पपीते का दूध तो आम मिल जाता है.
आज तक: अच्छा
ओमप्रकाश: कच्चा पपीता तो खूब मिल जाता है दबाके. उसका दूध ही छुड़ा देगा तुरंत.
केमिकल बेच रहे दुकानदार
अंगुली की स्याही मिटाकर लोकतंत्र पर कालिख पोतने वाले लोकशाही के ये नए लाल आपको ढूंढने पर हर निर्वाचन क्षेत्र में मिल जाएंगे. जी हां सरकार का बूथ अफ़सर बता रहा है कि नींबू के रस से स्याही का रंग नहीं चढ़ेगा. और वोटो के ठेकेदार वोटो की लूट के लिए पपीते के दूध का सहारा ले रहे हैं. आइए जरा आपको बड़े पैमाने पर वोटों के इस खेल के बड़े खिलाड़ियों के पास ले चलते हैं. जी हां जैसे लोहे को लोहा काटता है वैसे इस स्याही को और कोई स्याही काटती है. सुनिए सनसनीखेज खुलासा, दिल्ली के कैमिकल कारोबारी अरविंदर सिंह से: आज तक: इसका इस्तेमाल कैसे…इंक से पहले लगाना है…इंक के बाद ..
अरविंदर: इंक के पहले क्यो लगाओगे
आज तक: नहीं लगा के
अरविंदर: इंक जब लगा के बाहर आओगे… लगा के….उसको ऐसे अपना लगा के ख़त्म कर देना ….
आज तक: फटाफट लगाई और साफ. ऐसा तो नहीं तुरंत लगानी होगी. 10-15 मिनट
अरविंदर: यार उसके सामने थोड़ी बैठ के लगाओगे. बाहर आओगे. बाहर आकर. उसके पास पहुंच के. अपने ठिकाने पर होंगे. वही रब करोगे आकर.
बीजेपी-कांग्रेस को भी बेचा था इंक मिटाने वाला केमिकल
अरविंदर सिंह की मानें तो स्याही मिटाने वाले इस कैमिकल के जादू को सियासी पार्टियां अच्छी तरह जानती है. इसलिए चुनाव जीतने के लिए इसका जमकर इस्तेमाल होता है. अरविंदर ने बताया, ‘अपनी कॉलोनी में तो बीजेपी वालो को, कांग्रेस वालो को, दोनो को मैने 5-5 किलो दे दिया था. मेरी जान छोडो. वो तो जानते तो बीजेपी वाले भी सारे हैं. और कांग्रेस वाले भी. कहते तूने उसको दिया. मैने कहां मैने तो दिया नहीं. बताया उसी ने ही न कहता है यार. मैं उनसे लेकर आया. कहते तू कल से आइयो. मैंने कहा गाड़ी में रखकर उसको भी पकड़ा आया.’
‘दवाई की शीशी में ले जाओ केमिकल’
देश की राजधानी दिल्ली में फर्जी वोटिंग का खेल सिर्फ एक ही दुकान पर नहीं है. हमारे ख़ुफिया कैमरे ने वोट की स्याही मिटाने के धंधे में शरीक कुछ और स्याह चेहरों को भी क़ैद किया. दिल्ली के खारी बावली इलाके के एक दुकानदार राजू से हमारी बात हुई.
राजू: स्याही लगे बाहर निकलो अगर उसको डर लगता हो तो रुई ले लो रुई में डुबाओ और ऐसे ऐसे कर दो बस.
आज तक: मतलब ये है कि हमने जब रूई लगाई…वोट कास्ट किया…
राजू: हां
आज तक: बाहर आओ चाहे कितने देर बाद भी आओ
राजू: चाहे जितनी मर्जी हो जितनी मर्जी हो
आज तक: हां हां…
राजू: कोई टेंशन नहीं है…बाहर आओ या तो हाथ से ऐसे कर लो….इसको ऐसे किया…
आज तक: स्याही बिल्कुल साफ़
राजू: बिल्कुल साफ़ हो जाएगी.
आखिर बूथ के अंदर स्याही की शीशी लेकर कैसे घुसेंगे, इसका भी मंत्र इन्होंने बता दिया.
राजू: 100-100 एम एल की सीसी ले लो
आज तक: हां
राजू: शीशी में डाल के. जो ग्रुप है आपका 5-6 लोगो का उनमे एक शीशी उनको दे दी. अब हाथ में एक एक बोतल लेकर एक लीटर लेकर कहां जाओगे.
आज तक: कहां घूम पाएंगे. 100-100 एमएल वाली पॉकेट में डाल ली.
राजू: हां
आज तक: दवाई की शीशी में डाल लो
राजू: दवाई लिख दो उसमें क्या है. ये दवाई. छोटी शीशी ले लो. उसमें डाल के दे दो…हमने तो दवाई की शीशी ली थी.
फर्जी वोट की कालिख साफ़ करने की एक और दुकान पर हम पहुंचे जहां हमे बताया गया कि सप्लाई देश भर में होती है.
आज तक: ink मिट जाएगा न….चाहे 2 घंटे…चाहे 4 घंटे…इससे पहले कोई लेकर गया है क्या
केशरी कैमिकल्स: लेकर गया है तभी तो बताया. भैया इतने डाकू मरे हैं…
आज तक: मतलब certified है पूरा
केशरी कैमिकल्स: बेचता हूं भैया. बेचता हूं माल. लेकिन ये नहीं कह के बेचता. कैमिकल कह के नहीं बेचता
आज तक: यार ये तो हर चुनाव का खेल लगता है
केशरी कैमिकल्स: हां हां
मंत्री सुखबीर कटारिया का भी खुला कच्चा-चिट्ठा
चुनाव अधिकारियों का काम है फर्जी वोट को रोकना और वाजिब तरीके से मतदान कराना. लेकिन दिल्ली एनसीआर में तमाम वोट अधिकारी क्या कर रहे हैं, इसका खुलासा हुआ हमारे स्टिंग ऑपरेशन से. इसमें पता चला कि चुनाव अधिकारी न सिर्फ फर्जी वोट बनवाते हैं बल्कि ठोक में वोट बनवाने पर डिस्काउंट भी ऑफर करते हैं.
फर्जी वोट की कालिख हरियाणा के विवादास्पद मंत्री सुखबीर सिंह कटारिया तक भी जाती है. कटारिया पहले विधायक बने, फिर हरियाणा के गृहमंत्री रहे गोपाल कांडा के खास हुए और धीरे-धीरे हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के भी खासमखास हो गए.
कटारिया पर गुड़गांव की अदालत का कहना है कि उन्होंने हजारों फर्जी वोट बनवाकर जीत हासिल की और बाद में मंत्री तक बन गए. अदालत ने कटारिया के खिलाफ एसआईटी की जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन कानून को ताक पर रखने वाले कटारिया का कहना है कि वोट बनवाना कोई गुनाह नहीं है. सुखबीर कटारिया ने आज तक के खुफिया कैमरे पर सफाई दी कि उन्होंने अगर अपने लोगों के वोट बनवा ही दिए तो कौन सी गलती कर दी. अगर कुत्ते बिल्ली के वोट बनवाते तो कुछ और बात होती. उन्होंने कहा, ‘मैंने कोई गाय और भैंस के नहीं बनाए (वोट) इंसाने के बनाए, गलत क्या किया.’
एक बार इन नामों और इनके ओहदों को जरा गौर से देख लीजिए क्योंकि यही सरकारी अफसर फर्जीवाड़े को हवा देते आज तक के कैमरे पर कैद हुए हैं.
1. महेश कुमार
बूथ लेवेल ऑफिसर (BLO)
संसदीय सीट नंबर
गुड़गांव
2. अशोक कुमार
बूथ लेवेल ऑफिसर (BLO)
संसदीय सीट नंबर
गुड़गांव
3. हुकुम सिंह
बूथ लेवेल ऑफिसर (BLO)
संसदीय सीट नंबर
गाजियाबाद
4. मुकेश
बूथ लेवेल ऑफिसर (BLO)
संसदीय सीट नंबर
दादरी, नोएडा
5. भावेश कुमार
बूथ लेवेल ऑफिसर (BLO)
संसदीय सीट नंबर
लक्ष्मी नगर, नई दिल्ली
6. एस के वर्मा
बूथ लेवेल ऑफिसर (BLO)
संसदीय सीट नंबर
किशनकुंज, नई दिल्ली
7. रवींद्र कसाना
बूथ लेवेल ऑफिसर (BLO)
संसदीय सीट नंबर
लोनी, गाजियाबाद
8. हरेंदर
बूथ लेवेल ऑफिसर (BLO)
संसदीय सीट नंबर
गाजियाबाद
9. वी आर सोलंकी
असिस्टेंट इलेक्शन रिटर्निंग ऑफिसर (AERO)
संसदीय सीट नंबर
मेहरौली, नई दिल्ली
10. अशोक भारद्वाज
असिस्टेंट इलेक्शन रिटर्निंग ऑफिसर (AERO)
संसदीय सीट नंबर
पालम, नई दिल्ली
‘फर्जी वोट थोक में बनवाओ, डिस्काउंट पाओ’
आजतक की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम ने वोटतंत्र की सबसे बड़ी धांधली को बेपरदा करने के लिए तीन महीने की भागदौड़ के बाद ऑपरेशन वोट को अंजाम दिया. जी हां, ऑपरेशन वोट जो जाहिर करता है कि किस तरह चुनाव अधिकारी एक एक फोटो पर दो-दो वोटर आईडी कार्ड बना देते हैं. किस तरह बाप का नाम बदलकर या फिर सरनेम बदलकर एक फर्जी वोटर की पहचान तैयार कर दी जाती है. किस तरह एक ही व्यक्ति स्याही मिटा मिटाकर किसी एक पार्टी के नाम अलग अलग बूथों पर कई कई वोट डाल आता है.
हमारे अंडरकवर रिपोर्टर गुडगांव के बूथ लेवल ऑफिसर महेश कुमार के पास एक उम्मीदवार का एजेंट बनकर गए और हमने इनसे कुछ फर्जी वोट बनाने की डील की. महेश कुमार से जब हमने कहा कि हम हर फर्जी वोट के लिए उनको दो हजार रुपये देंगे तो वो धंधा देखकर थोड़ा मुस्कुराए और कहा कि हम चिंता ना करें, वो इस डील में दो सौ रुपये प्रति वोट का डिस्काउंट भी दे देंगे.
फर्जी वोट बनवाने वाले एक और चुनाव अधिकारी से हम गाजियाबाद में टकरा गए. यहां भी हमारे रिपोर्टर उम्मीदवार के एजेट बनकर फर्जी वोट बनवाने पहुंचे थे. हमनें इस अधिकारी से कहा कि हमारे पास लोगों के फोटो तो हैं लेकिन उनकी पहचान के लिए एड्रेस प्रूफ नहीं है. कोई दस्तावेज भी नहीं. उन्होंने कहा, ‘मुझे तो फोटो चाहिए, और किसी बात की जरूरत नहीं. एक के साथ एक फ्री वाला भी हो जाएगा.’
दादरी नोएडा के चुनाव अधिकारी मुकेश तो सबसे आगे हैं- हर मामले में. मुकेश साहब हमें बता रहे हैं कि हमने उनसे संपर्क में करने में जरा देर कर दी. अगर हम वक्त पे आते तो एक आदमी के चार चार वोटर कार्ड बनवा देते. वहीं दादरी के चुनाव अधिकारी एक आदमी के चार-चार वोट बनवाने का दावा करने लगे.
hemen parekh
April 2, 2014 at 4:45 pm
Poor Zhou Yongkang
71 year old , Zhou Yongkang is the retired Domestic Security Chief of China
He wishes he was born in India !
Why ?
Here is what happened to him in China :
Anti Corruption Agency interrogated him – and his 300 + family members / relatives / friends / associates etc for over 4 months
Found – and seized – his ill-gotten wealth consisting of ,
> Bank Accounts ( mostly , Benami ) / Deposits…….. 37 billion yuans
> Local / Foreign Bonds / Stocks ……………………….. 51 billion yuans
> 300 flats + Villas ………………………………………. 1.7 billion yuans
> Antiques / Paintings …………………………………… 1.0 billion yuans
> 60 Vehicles
> Gold / Silver
> Cash ( local + foreign ) ………………… etc
Altogether , a neat sum of 90 billion yuans ($ 14.5 billion/Rs 87,500 crores )
What would have happened to him in India ?
> Central Govt would have never given CBI , permission to investigate him
> If , by mistake , permission was given , ” Caged Parrot ” would have
taken 5 years to investigate – only to ” Close the case for want of
sufficient evidence ”
> If , by chance , he could not ” hide in plain sight ” , those vehicles
flats / villas / FD receipts etc , CBI would have filed a Charge-Sheet in
another 5 years
> If , he got arrested , he would be out on bail within a week and continue
to destroy evidence / influence the witnesses , for ever
> Court would have taken 10 years to hear arguments to pronounce guilty
and award punishment
> His lawyers would have kept ready , their appeal to the higher court
> In the worst case scenario , if all the higher courts were to uphold the
verdict of the trial court , he would have the options of ,
* Feigning heart attack and spend the rest of his life in a 5 Star hospital
from where , he would continue to guide his son in ” Business Affairs ”
* Ask his family members to fall ” Seriously Ill ” ( in rotation , of course )
and be let out of the jail on permanent parole , on humanitarian
grounds
Poor Zhou Yongkang ,
Rejoice
Don’t despair
Believe in re-birth
With your most appropriate Karma of this life , you have qualified yourself for a re-birth in the holy land of Bharat ( that is India ) – where the politicians , their close relatives and their ill-gotten wealth , are beyond the purview of the law !
* hemen parekh ( 01 April 2014 / Mumbai )